अदा बोलती है…
ये दुनिया न सोचो कि क्या बोलती है,
इसे बोलना है, सदा बोलती है।।
दिखावा बहुत ही करे बे-हयाई,
हयादार की तो हया बोलती है।।
मुहब्बत में होता है ऐसा ही अक्सर,
ज़बाँ चुप रहे पर अदा बोलती है।।
बुराई के बदले भलाई किये जा,
भलाई के हक़ में दुआ बोलती है।।
यहाँ मसअले हैं बहुत ज़िन्दगी के,
ये मैली – कुचैली रिदा बोलती है।।
भले ही मुझे वो कहें बेवफ़ा पर,
मैं क्या हूँ ये मेरी वफ़ा बोलती है।।
चराग़-ए-मुहब्बत रखो ‘अश्क ‘ रौशन,
बुझाने को आबो-हवा बोलती है।।
© अश्क चिरैयाकोटी