‘अत्याचार और स्वार्थ का त्याग करें’
कोरोना के बाद चार धाम यात्रा आरंभ होने पर इस बार यात्रियों की अथाह भीड़ उमड़ रही है। इसका आर्थिक लाभ हर व्यक्ति लेना चाहता है ,चाहे छोटा व्यवसाय करने वाला हो या बड़ा। यात्रियों से मनचाहा पैसा वसूलना वो भी तीर्थयात्रियों से पाप ही कहलाएगा । जितना जायज हो उतना लीजिए। सेवा भाव सदा मन में बनाए रखें। खच्चर मालिक भी खच्चरों की क्षमता का ख्याल रखे बिना उनसे अधिक कार्य ले रहे हैं , इससे खच्चरों की भी मृत्यु हो रही है। वो पशु अपना दर्द बता नहीं सकता तो ये भी मालिक का अत्याचार ही है। उनके भोजन पानी और स्वास्थ्य का ख्याल भी रखें। कोरोना के कारण उनका चढ़ने उतरने का अभ्यास भी कम हो गया होगा , तो ज्यादा चक्कर नहीं लगवाना चाहिए। पैसा तभी कमाओगे जब उनका ख्याल रखोगे । वहीं जो यात्री हैं वो ये ध्यान रखें कि वो किस स्थान पर किस उद्देश्य से जा रहे हैं। पिकनिक के उद्देश्य से वहाँ न जाएँ। मन में शुचिता का भाव रखें। वहाँ गंदगी फैला कर स्थान की पवित्रता भंग न होने दें अन्यथा पुण्य के स्थान पर पाप के भागी ही बनोगे। देव स्थानों की गरिमा खंडित न करें।
कचरा यहाँ-वहाँ न फेंके। कचरे के लिए अपने पास एक थैला रखें और बाद में उसे जहां व्यवस्था है वहाँ फेंकें।
-गोदाम्बरी नेगी