Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 Jun 2022 · 1 min read

‘अत्याचार और स्वार्थ का त्याग करें’

कोरोना के बाद चार धाम यात्रा आरंभ होने पर इस बार यात्रियों की अथाह भीड़ उमड़ रही है। इसका आर्थिक लाभ हर व्यक्ति लेना चाहता है ,चाहे छोटा व्यवसाय करने वाला हो या बड़ा। यात्रियों से मनचाहा पैसा वसूलना वो भी तीर्थयात्रियों से पाप ही कहलाएगा । जितना जायज हो उतना लीजिए। सेवा भाव सदा मन में बनाए रखें। खच्चर मालिक भी खच्चरों की क्षमता का ख्याल रखे बिना उनसे अधिक कार्य ले रहे हैं , इससे खच्चरों की भी मृत्यु हो रही है। वो पशु अपना दर्द बता नहीं सकता तो ये भी मालिक का अत्याचार ही है। उनके भोजन पानी और स्वास्थ्य का ख्याल भी रखें। कोरोना के कारण उनका चढ़ने उतरने का अभ्यास भी कम हो गया होगा , तो ज्यादा चक्कर नहीं लगवाना चाहिए। पैसा तभी कमाओगे जब उनका ख्याल रखोगे । वहीं जो यात्री हैं वो ये ध्यान रखें कि वो किस स्थान पर किस उद्देश्य से जा रहे हैं। पिकनिक के उद्देश्य से वहाँ न जाएँ। मन में शुचिता का भाव रखें। वहाँ गंदगी फैला कर स्थान की पवित्रता भंग न होने दें अन्यथा पुण्य के स्थान पर पाप के भागी ही बनोगे। देव स्थानों की गरिमा खंडित न करें।
कचरा यहाँ-वहाँ न फेंके। कचरे के लिए अपने पास एक थैला रखें और बाद में उसे जहां व्यवस्था है वहाँ फेंकें।
-गोदाम्बरी नेगी

Language: Hindi
Tag: लेख
250 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
‘ विरोधरस ‘---3. || विरोध-रस के आलंबन विभाव || +रमेशराज
‘ विरोधरस ‘---3. || विरोध-रस के आलंबन विभाव || +रमेशराज
कवि रमेशराज
विश्व आदिवासी दिवस
विश्व आदिवासी दिवस
Dr. Kishan tandon kranti
आपके दिमाग में जो लक्ष्य केंद्रित होता है।
आपके दिमाग में जो लक्ष्य केंद्रित होता है।
Rj Anand Prajapati
दोस्त,ज़िंदगी को अगर जीना हैं,जीने चढ़ने पड़ेंगे.
दोस्त,ज़िंदगी को अगर जीना हैं,जीने चढ़ने पड़ेंगे.
Piyush Goel
कुंडलिया
कुंडलिया
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
*अन्नप्राशन संस्कार और मुंडन संस्कार*
*अन्नप्राशन संस्कार और मुंडन संस्कार*
Ravi Prakash
जानते वो भी हैं...!!!
जानते वो भी हैं...!!!
Kanchan Khanna
कहमुकरियाँ हिन्दी महीनों पर...
कहमुकरियाँ हिन्दी महीनों पर...
डॉ.सीमा अग्रवाल
घट भर पानी राखिये पंक्षी प्यास बुझाय |
घट भर पानी राखिये पंक्षी प्यास बुझाय |
Gaurav Pathak
अलविदा नहीं
अलविदा नहीं
Pratibha Pandey
"" *महात्मा गाँधी* ""
सुनीलानंद महंत
Home Sweet Home!
Home Sweet Home!
R. H. SRIDEVI
#मानवता का गिरता स्तर
#मानवता का गिरता स्तर
Radheshyam Khatik
कुछ नमी अपने
कुछ नमी अपने
Dr fauzia Naseem shad
नेता के बोल
नेता के बोल
Aman Sinha
!!कोई थी!!
!!कोई थी!!
जय लगन कुमार हैप्पी
" दिल गया है हाथ से "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
🍁अंहकार🍁
🍁अंहकार🍁
Dr. Vaishali Verma
जुगनू का कमाल है रातों को रोशन करना,
जुगनू का कमाल है रातों को रोशन करना,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
कामना-ऐ-इश्क़...!!
कामना-ऐ-इश्क़...!!
Ravi Betulwala
हमारा अस्तिव हमारे कर्म से होता है, किसी के नजरिए से नही.!!
हमारा अस्तिव हमारे कर्म से होता है, किसी के नजरिए से नही.!!
Jogendar singh
काश ! लोग यह समझ पाते कि रिश्ते मनःस्थिति के ख्याल रखने हेतु
काश ! लोग यह समझ पाते कि रिश्ते मनःस्थिति के ख्याल रखने हेतु
मिथलेश सिंह"मिलिंद"
2875.*पूर्णिका*
2875.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
नज़्म - चांद हथेली में
नज़्म - चांद हथेली में
Awadhesh Singh
— बेटे की ख़ुशी ही क्यूं —??
— बेटे की ख़ुशी ही क्यूं —??
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
पतझड़
पतझड़
ओसमणी साहू 'ओश'
बेकाबू हैं धड़कनें,
बेकाबू हैं धड़कनें,
sushil sarna
में ही हूं, मैं ही कहानी
में ही हूं, मैं ही कहानी
पूर्वार्थ
पिता का प्यार
पिता का प्यार
Befikr Lafz
🙅अनुभूत/अभिव्यक्त🙅
🙅अनुभूत/अभिव्यक्त🙅
*प्रणय*
Loading...