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28 Feb 2019 · 1 min read

“अतिथि”

(1)
तन सराय
मोह-माया सामान
“अतिथि” साँस
(2)
वक़्त अभाव
“अतिथि” से करती
दीवारें बात
(3)
मन के घर
घृणा-प्रेम अतिथि
आते व जाते
(4)
अतिथि सेवा
पूजा है संस्कारों की
आतिथ्य धर्म
(5)
बन अतिथि
ठहरी महंगाई
रोये गरीबी

स्वरचित
ऋतुराज दवे

Language: Hindi
1 Like · 286 Views
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