अबके रंग लगाना है
Dr. Reetesh Kumar Khare डॉ रीतेश कुमार खरे
द्रौपदी ने भी रखा था ‘करवा चौथ’ का व्रत
अनोखा देश है मेरा , अनोखी रीत है इसकी।
जो क्षण भर में भी न नष्ट हो
दोहे- चार क़दम
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
हरे हैं ज़ख़्म सारे सब्र थोड़ा और कर ले दिल
I would never force anyone to choose me
बनें जुगनू अँधेरों में सफ़र आसान हो जाए
ख्वाब सुलग रहें है... जल जाएंगे इक रोज
फलानी ने फलाने को फलां के साथ देखा है।
ज़िन्दगी - दीपक नीलपदम्
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
“आखिर मैं उदास क्यूँ हूँ?
लोकतंत्र तभी तक जिंदा है जब तक आम जनता की आवाज़ जिंदा है जिस
कागज़ की नाव सी, न हो जिन्दगी तेरी
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
सनातन के नाम पर जो स्त्रियों पर अपने कुत्सित विचार रखते हैं
मिलती नहीं खुशी अब ज़माने पहले जैसे कहीं भी,