*अज्ञानी की कलम*
अज्ञानी की कलम
वक्त कि पूर्जोर आंधी,
दूषित करती जा रही जहां।
छल कपट झूठ फ़रेबी,
नुक्तां शिखातें हैं यहां।।
गांव पीपल नीम बरगद,
कागज़ों कि नांव कहां।
चैन के दो पल गुंजारे
माहौल ऐसा हैं कहां।
रात-दिन मेहनतकश वह
इंसा पायेगा फल जरुर।
आश विरानी राम जी से
मन इच्छा होती कहां।।
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झांसी बुंदेलखंड