*अज्ञानी की कलम*
अज्ञानी की कलम
गरीबों के पेट की आग,
बुझाकर तो देखिए।
नक्शे से हिन्द के ग़रीबी,
हटाकर तो देखिए।।
मजदूर का वह बेटा
एक रोटी को तरसता,
बेदर्दी जमानें से जुस्तजू
कराकर तो देखिए।।
किसी गरीब की कुटिया
में पूंछने न आयेगा,
खुवाईशें कम से कम
करके तो देखिए।।
छल कपटी जग फरेबी
का नाच देखना जरूर,
कुमार्ग से सुमार्ग पर
चलकर तो देखिए।।
आवाज़ अंर्तआत्मा की
एक बार तो सुनो,
बेगैरती जमानें से दूर
जाकर तो देखिए।।
एक बार सच्चे मन से
तू टेरकर तो देख,
अज्ञानी से एक मुका
बला करके तो देखिए।।
स्वरचित एवं मौलिक
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झांसी बुन्देलखण्ड