*अज्ञानी की कलम*
अज्ञानी की कलम
जहां भाये हैं तहां जाये है।
चापलूसों की जग को चाह है।।
भाग्य भरोसे कुछ नहीं होता है।
होगा वहीं जो राम सुहोत है।।
पूजा मात-पिता गुरु की करलो।
मन वांछित फल इनसे वरलो।। जीवन चार दिनों का है मेला।
नेकी भजन राम मनन करलो।।
*जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी
झांसी उ•प्र•*