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25 Aug 2023 · 1 min read

*अज्ञानी की कलम*

अज्ञानी की कलम
जहां भाये हैं तहां जाये है।
चापलूसों की जग को चाह है।।
भाग्य भरोसे कुछ नहीं होता है।
होगा वहीं जो राम सुहोत है।।
पूजा मात-पिता गुरु की करलो।
मन वांछित फल इनसे वरलो।। जीवन चार दिनों का है मेला।
नेकी भजन राम मनन करलो।।

*जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी
झांसी उ•प्र•*

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