अज्ञानता
कुछ लोग ठहाका मारकर हंसते हैं,
कि हमने उसे हरा दिया।
लेकिन ! उन्हें नहीं पता कि मैं जहां पहुंचूं,
मेरी मंजिल की सीढ़ी वहीं से शुरू होती है।।
कुछ लोग ठहाका मारकर हंसते हैं,
कि हमने उसे हरा दिया।
लेकिन ! उन्हें नहीं पता कि मैं जहां पहुंचूं,
मेरी मंजिल की सीढ़ी वहीं से शुरू होती है।।