अजीब हरकतें
मोतीलाल अपनी सीट पर बैठे
बिल्कुल एकाग्रता से मंजू को बोलते हुए सुन वा देख रहे थे,
मंजू बिल्कुल भी नहीं जानती थी,
चिकित्सा शास्त्र कैसे काम करता है.
चिकित्सक रोगी रोग और रोग की प्रकृति और अवधि काल क्या होता है.
वह कहे जा रही थी.
आपकी दवा अच्छी नहीं हैं
और अधिक बीमार किये जा रही है.
हम तो बाहर ते दवा दिलवा के लाये हैं.
इस बार मंजू ने मोतीलाल से कोई सलाह या दवा नहीं ली, फिर भी न जाने क्यों ?
मन की भडास निकाले जा रही थी.
बच्चे को बुखार, जुकाम, खांसी आदि लक्षण जस् की तस् नजर आ रहे थे.
मोतीलाल एकदम शांत भौचक्के
सबकुछ सुनते रहा,
मोतीलाल ने अपने दिल को तसल्ली देते हुए.
मन ही मन कहा,
ये वो लोग हैं,
जब स्वस्थ होते हैं.
मंदिर जाते है, मौलवी, पीर पैगम्बर पर मथे टेकते है.
और बिमार होकर चिकित्सक पर आते है.
ये लोग मानसिक बिमारियों से बिल्कुल अनभिज्ञ है.
ये चिकित्सक की बात कहाँ समझने वाले हैं.
चिकित्सक दवा दे या हर तरह से समझाऐ
इन्हें तो बस दवा चाहिए.
अधिकतर बिमारियां खुद पे खुद ठीक हो जाती है, गर हम शरीर की सुने.
आराम और नींद की सख्त आवश्यकता है.
लेकिन इन्हीं दिनों में कमेरे बनेंगे.
खैर खानपान, परहेज़, जानकारी जो अनुभवी चिकित्सक से मिलती है.
ऐसे पीडितों के जीवन में कोई चमत्कार नहीं कर सकते,
चले है धर्म की रक्षा करने,
शरीर और मन के विषय से अनभिज्ञ लोग.
एक दूसरे की जिंदगी में दखलंदाजी से ज्यादा कुछ नहीं कर सकते.
यही दया, क्षमा, अहिंसा, से चूक जाते है.
आत्मग्लानि उत्पन्न होती है.
खुद को माफ नहीं कर पाते.
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मौसम से होने वाले बुखार लगभग एक सप्ताह में ठीक होते हैं, बसरते खानपान, रहनसहन व्यवस्थित हो, अन्यथा मलेरिया, मियादी, और दवा के दुष्प्रभाव से यकृत शोथ, तिल्ली, अग्नाशय जैसे दुष्परिणाम मुफ्त में मिलते है.
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जिससे आप अनभिज्ञ हैं,
जानकारी जुटाए, अहित होने से बचे.
अनावश्यक दवाओं के दुष्प्रभाव से बचें और बचाऐं.
डॉक्टर महेन्द्र सिंह हंस