अजीब दौर से गुज़र रही ज़िंदगी,
अजीब दौर से गुज़र रही ज़िंदगी,
न दिल का पता न सांसो का,
समझ लो सिर्फ इतना ही,
समुंदर उफान पर है इन आँखों का।
✍️वैष्णवी गुप्ता
कौशांबी
अजीब दौर से गुज़र रही ज़िंदगी,
न दिल का पता न सांसो का,
समझ लो सिर्फ इतना ही,
समुंदर उफान पर है इन आँखों का।
✍️वैष्णवी गुप्ता
कौशांबी