अज़नबी हो गये
नजरों से नजरें न मिला सके वो,
लगता है वो अब फ़रेबी हो गये ।
जो कभी साथ जीने मरने की कसमें खाते थे,
आज हम उनकी मज़लिस में अज़नबी हो गये ।
डां. अखिलेश बघेल
दतिया (म.प्र.)
नजरों से नजरें न मिला सके वो,
लगता है वो अब फ़रेबी हो गये ।
जो कभी साथ जीने मरने की कसमें खाते थे,
आज हम उनकी मज़लिस में अज़नबी हो गये ।
डां. अखिलेश बघेल
दतिया (म.प्र.)