” अजनबी लोग “
बड़ी काबलिय तारीफ है उन अजनबी लोगों की ,
जो अपने नहीं है फिर भी बहुत कुछ दे जाते हैं ।
सफर में मिलते है और सफर में ही जुदा हो जाते हैं ,
फिर भी अपनी बातों से सफर को तरोताजा कर जाते हैं ।
कहां वक्त है इतना किसी के पास अपनों के खातिर ,
वो अजनबी लोग ही तो है !
जो एक आम इंसान की कला को सितारों सा चमका जाते हैं ।
कुछ लेना देना नहीं है उनका किसी से ,
फिर भी अपने एक लाइक और कमेंट्स से प्रोत्साहन बढ़ा जाते हैं ।
किसी से जन्म ,रूह या खून का रिश्ता नहीं है उनका
फिर भी शब्दों से ही हमारे हाले दिल की बात समझ जाते हैं ।
अपनो का क्या !
साथ रह कर भी दर्द देख नहीं पाते ,
हमारी सुनते कम है बस अपनी बात समझाते है ।
वो तो छोटी-छोटी बातों पर टांग खिंच ,
एक के बाद एक नया बखेड़ा किए जाते हैं ।
वो अपने ही तो है जो प्यार से ही ,
खाई में ढकेलते जाते हैं ।
– ज्योति