Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
25 Jun 2024 · 1 min read

अजनबी रातेँ

अजनबी रातें

अजनबी जगह है अजनबी ये रातें।
भयंकर निशा में करूं किससे बातें?
खोया सा लगता हृदय वक्ष मानस।
अनाड़ी बना मैं जुटाता न साहस।
कोई मुसाफिर नहीं दिख रहा है।
पत्ता शहर का नहीं हिल रहा है।
भटकता भटकता कहाँ जा रहा मैं?
अजनबी बना खुद हिला जा रहा मैं।
नहीँ रात बातें कभी सुन रही है।
बनकर स्वयं काल खुद चुन रही है।
डरता हुआ दिल सहज काँपता है।
निशा की गली में सतत हांफता है।
सुला दी हैं रातें सभी मर गये हैं।
अजनबी बनी रात से डर गये हैं।
सड़क का मनुज मैं न पाता किनारा।
भयावह समय में न कोई सहारा।
अजनबी रहो मत बनो रात रानी।
बनो हमसफ़र प्यार की रच कहानी।
निष्ठुर न हो अब बसा लो जिगर में।
अमृत बनो रात आओ उदर में।
तुम्हीं दिन की किस्मत बनी साथ रहती।
बनी प्रेमिका तुम सदा प्रेम करती।
दिन का हृदय पास रहता तुम्हारे।
नहीं हो अजनबी सदा सत्य प्यारे।

साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।

1 Like · 23 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

तबियत बदलती है
तबियत बदलती है
Kunal Kanth
*सत्ता कब किसकी रही, सदा खेलती खेल (कुंडलिया)*
*सत्ता कब किसकी रही, सदा खेलती खेल (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
चेहरा देख के नहीं स्वभाव देख कर हमसफर बनाना चाहिए क्योंकि चे
चेहरा देख के नहीं स्वभाव देख कर हमसफर बनाना चाहिए क्योंकि चे
Ranjeet kumar patre
हो तन मालिन जब फूलों का, दोषी भौंरा हो जाता है।
हो तन मालिन जब फूलों का, दोषी भौंरा हो जाता है।
दीपक झा रुद्रा
मंगलमय हो आपका विजय दशमी शुभ पर्व ,
मंगलमय हो आपका विजय दशमी शुभ पर्व ,
Neelam Sharma
हम हिंदुस्तानियों की पहचान है हिंदी।
हम हिंदुस्तानियों की पहचान है हिंदी।
Ujjwal kumar
कामयाबी
कामयाबी
अखिलेश 'अखिल'
शंकरलाल द्विवेदी द्वारा लिखित मुक्तक काव्य।
शंकरलाल द्विवेदी द्वारा लिखित मुक्तक काव्य।
Shankar lal Dwivedi (1941-81)
*लव इज लाईफ*
*लव इज लाईफ*
Dushyant Kumar
4471.*पूर्णिका*
4471.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
"रातरानी"
Ekta chitrangini
हर ग़ुनाह
हर ग़ुनाह
Dr fauzia Naseem shad
सोन चिरैया
सोन चिरैया
Mukta Rashmi
बहते हुए पानी की तरह, करते हैं मनमानी
बहते हुए पानी की तरह, करते हैं मनमानी
Dr.sima
"गुरु"
Dr. Kishan tandon kranti
*बहू- बेटी- तलाक*
*बहू- बेटी- तलाक*
Radhakishan R. Mundhra
उम्र गुजर जाती है किराए के मकानों में
उम्र गुजर जाती है किराए के मकानों में
करन ''केसरा''
प्रेम प्रस्ताव
प्रेम प्रस्ताव
NAVNEET SINGH
तुम्हीं सदगुरु तारणहार
तुम्हीं सदगुरु तारणहार
Prithvi Singh Beniwal Bishnoi
कुंडलिया
कुंडलिया
sushil sarna
माटी की सोंधी महक (नील पदम् के दोहे)
माटी की सोंधी महक (नील पदम् के दोहे)
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
किधर चले हो यूं मोड़कर मुँह मुझे सनम तुम न अब सताओ
किधर चले हो यूं मोड़कर मुँह मुझे सनम तुम न अब सताओ
Dr Archana Gupta
बदलती जरूरतें बदलता जीवन
बदलती जरूरतें बदलता जीवन
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
विश्व कविता दिवस
विश्व कविता दिवस
विजय कुमार अग्रवाल
सदा साथ रहना साथिया
सदा साथ रहना साथिया
Sudhir srivastava
Mother's passion
Mother's passion
Shyam Sundar Subramanian
ममता की भंडार
ममता की भंडार
RAMESH SHARMA
पारिवारिक संबंध, विश्वास का मोहताज नहीं होता, क्योंकि वो प्र
पारिवारिक संबंध, विश्वास का मोहताज नहीं होता, क्योंकि वो प्र
Sanjay ' शून्य'
thanhthienphu
thanhthienphu
Thanh Thiên Phú
जिनका मन और दिल साफ़ होता है
जिनका मन और दिल साफ़ होता है
Sonam Puneet Dubey
Loading...