अजनबी कहकर ही बुलाए
चाहत थी कि वो कुछ लिखे हमपर,
कुछ अपने दिल की बताएं।
तारीफ करें कुछ हमारी और
ग़जल कोई सुनाए।
खोले मन के राज, हमको
अपना राजदार बनाए।
मैंने सौंप दिया है अपना सब कुछ उनको,
वो भी कभी तो मेरे हो जाए।
कोई रिश्ता न सही हम में तो न सही,
मुझे अजनबी कहकर ही कभी बुलाए।