अच्छे बने रहने की एक क़ीमत हमेशा चुकानी पड़ती है….क़ीमत को इ
अच्छे बने रहने की एक क़ीमत हमेशा चुकानी पड़ती है….क़ीमत को इस तरह नापा जा सकता है कि आप दूसरे एहसासों को ख़ुद पर हावी होने नहीं दे सकते , आपका ग़ुस्सा नहीं फूट सकता, आवाज़ में पत्थर सा भारी और खुरदुरापन नहीं आ सकता…..किसी के बुरा करने पर भी आप अपनी आंखों में बदले की चिंगारी नहीं भड़का सकते……अच्छा होना अच्छी बात है लेकिन बहुत अच्छा होना अच्छी बात नहीं। ये जज़्बातों को ठीक वैसे टुकड़ों में नोच डालता है जैसा भूखा फ़क़ीर खाने को मिली रोटियों पर टूट पड़ता है !
हद से ज़्यादा की गयी मोहब्बत वक़्त के साथ भारीपन का एहसास दिलाती है….मानो पैरों में पत्थर बांधकर किसी पोखर में आपको उतार दिया गया हो। आप डूबेंगे और मरेंगे भी, पर इन सबके बीच आप वो सब कुछ महसूस कर लेंगे जिसकी चाह आपको और गहराई में डुबा देने को खींचती ले चलेगी….!!