अच्छे दिन
सबकुछ ठीकठाक चलते चलते अचानक,
एक आवाज उठी,
एक तूफान सा आया,
एक सुनामी जैसे सबकुछ ध्वस्त करके,
एक नये भौगोलिक क्षेत्र का निर्माण होने वाला हो,
कुछ समस्याएं जैसे थी ही नहीं,
एक तबका अपनी राजसत्ता प्राप्ति के लिए उसे *नासूर बतलाकर इलाज करने को तत्पर,
येनकेन प्राकरेण
एक ऐसा संगीत
बिरले राग,धुन
जिससे एक जज्बा भरते हुए आगे बढ़ रहे थे,
एक देश,एक झण्डा, एक एजैंडा, एक रैंक एक पेंशन, रोजगार की तो जैसे
बाढ़ आने वाली है,
जनता बडी खुश,
लेकिन उन्हें क्या मालूम था,
कि वे ठगे रह जाने वाले है,
जो समस्याएं थी ही, नहीं कभी,
आज देश के लिए सबसे *बडी समस्या थी,
जनता फिर भी, आज नहीं तो कल होगा, कल नहीं तो परसों होगा,
लेकिन होगा, ऐसा विश्वास लिये साथ देती रही,
लेकिन उनके लिए तो राज ही एकमात्र जरूरत वा पसंद जिसके लिए वे हर क्षमता, साम दाम,दण्ड भेद से अपने पक्ष में करती रही,
जब सबकुछ उनके पक्ष में हो गया,
जनता के खजानों को तलाशना शुरू कर दिया,
तेल नामक कोई भी पदार्थ,
जैसे जनता के देह से जैसे खुद पे निकल रहा हो,
शतक, दोहरे शतक से कीमतें कम न थी,
दामन पर दाग जैसे चमकने वाले पौराणिक नाम धीरे-धीरे बदल कर
जनता द्वारा प्रदत्त टैक्स से
जैसे भूखे को रोटी,
प्यासे को पानी,
किनारे पर खडे को धकेल कर डूबो देने वाली स्थिति से भी जनता प्रसन्न थी,
हद तो तब हो गयी,
प्रतिद्वंद्वी नेताओं की बोलती बंद थी,
ये पिछली सरकारें करना चाहती थी,
तब हम विरोध कर रहे थें,
आज हम कर रहे है,
इनका विरोध बनता ही नहीं,
जनता को अनभिज्ञ और रिजर्व रखा जाता है,
उनका क्या तरीका होता,
उसे ही नहीं,
उस व्यक्तित्व की भी समां बाँधकर जनता को दिखाया जाता,
कि देख लो बॉथरूम में रेनकोट पहन कर नहाने वालो का हाल,
कुछ लोग सोने की चम्मच लेकर पैदा होते है,
उनके खुद पर उदाहरण की व्याख्या को, उसी पर मंढ दिया जाता है, इधर से आलू डालो, उधर से सोना निकलेगा,
उसका कहना था, बात में विस्मय था,
मालूम नहीं इस आदमी के पास कौन सी मशीन है,
जो तरफ आलू डालकर,
दूसरी तरफ से सोना निकाल देगा,
भैंस उसी की..लाठी जिसकी,
खैर कहानी के दूसरे पात्र ने कहा.
हम नफरत को प्रेम से जीतेंगे और जीत लेंगे.
कहानी के पहले पात्र ने योजनाओं का भरमार करके जैसे अंबार लगा दिया हो,
कहानी के तीसरे पात्र,
पीडित जनता की जेब से निकलता हर पैसा, काले धन की दृष्टि लिए हुए.
कहावत है, तेरा ही मुंड..तेरी ही मुसल़ी,
तीन कृषि कानून, श्रम-कानून, जिस विश्वविद्यालय से डिग्री ली, उसी के वजूद पर सवाल उठाते, डिग्रीधारी आज उन्हें विदेशी संस्थान ठहराने पर उतारू है,
मैंने बचपन में पढा था, भारत विविधताओं में एकता का एक साक्षात उदाहरण है,
यहां छ: ऋतुएं,, संस्कृति के नाम पे
सबके अपने उत्सव, नृत्य,
दो अयन,,दो पक्ष,,सबसे बडा लोकतंत्र,, संप्रभुता, धर्मनिरपेक्षता,, रिजर्व बैंक,, विज्ञान-प्रोद्यौगिकी,, तीन सेनाएं,, विशाल जनंसख्या,, कर्मेठ,ईमानदार,, शिक्षा,, चिकित्सा
सहयोग, सद्भावना, त्याग,,
मेरा भारत महान
महानता की विशेषता
भेड बकरी ऊँट घोडे सब एक घाट पर पानी पीने वाले जीव स्वच्छंद है.
ये कहानी ठीक एक वरदान प्राप्त व्यक्ति वो जिस और देखेगा. सब कुछ हरा भरा, हरियाली ही हरियाली हो जायेगी,
कहानी में एक विपरीत वरदान भी था, गर वह वरदान प्राप्त व्यक्ति वापिस मुडकर देखेगा,
फिर जैसे का तैसा हो जायेगा.
उस व्यक्ति को विश्वास न हुआ.
और विश्वास प्राप्ति के लिए पीछे मुडकर देखा.
वही हुआ जिसकी कल्पना कोई करना नहीं चाहता.
डॉक्टर महेन्द्र सिंह हंस