अच्छे दिन
अच्छे दिन की बानगी चाहों बाबू बैंक में जाओ
पांच हजार के मिनिमम दर को मेन्टेन तुम करवाओ
मेन्टेन तुम करवाओ नहीं तो कटेंगे पैसे
पैसे सब कटगये तो जीनव जीयेगा कैसे,
कहै “सचिन” कविराय सुख जो चाहो बच्चे
बैंक का सुनते जाओ दिन आयेंगे अच्छे।।
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सरकारी हर कार्य का करना नहीं विरोध
पीते जाना रह दिन हर पल आये जितना क्रोध
आये जितना क्रोध कभी भी मुख ना खोलो
भ्रष्टाचार बस देखो भाई कुछ ना बोलो,
कहै “सचिन” कविराय बनो चापलूस दरबारी
तभी मिलेगा सुविधा तुमको सब सरकारी।।
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सत्तारूढ़ जो जन रहे उनका करो गुणगान
घर में फोटो टांग कर सदा करो सम्मान
सदा करो सम्मान , समझ कर इसको धंधा
खाओ छक कर माल बने रहो भक्त तुम अंधा
कहै “सचिन” कविराय कभी ना हो तुम उनसे दूर
सत्ता जिनके हाथ में ह़ो और पार्टी सत्तारूढ़।।
©®पं.संजीव शुक्ल “सचिन”
4/9/2017