अच्छे कर्मों का फल (लघुकथा)
कहा गया है कि माता-पिता के कर्मो का फल बच्चे को मिलता है। यह कहानी ब्रिटेन के स्कॉटलैंड में रहनेवाले फ्लेमिंग नामक एक गरीब किसान की है। फ्लेमिंग एक दिन अपने खेत में काम कर रहे थे। अचानक उसी समय उन्हें किसी के चीखने की आवाज सुनाई पड़ी। वे काम छोड़कर उस आवाज की ओर जाने लगे। वहाँ पहुँचने पर उन्होंने देखा कि एक बच्चा दलदल में फंसा हुआ है। वह बच्चा कीचड़ से निकलने के लिए बहुत प्रयास कर रहा था और डर से काँप रहा था। किसान ने वहीं पास के पेड़ से एक लंबी टहनी तोड़कर, अपनी जान को जोखिम में डालते हुए, उस बच्चे को दलदल से बाहर निकल लिया। बच्चे के साथ आये उसके दोस्तों ने उन्हें बहुत धन्यवाद दिया और अपने घर चले गए। अगले ही दिन उस किसान की झोपड़ी के सामने एक शानदार गाड़ी आकर खड़ी हुई। उसमे से एक सज्जन उतर कर किसान को अपना परिचय देते हुए बोले, “मैं उस बच्चे का पिता हूँ, जिसे आपने दलदल से निकालकर जान बचाई है। मेरा नाम राडॉल्फ़ चर्चिल है।” राडॉल्फ़ चर्चिल ने कहा, मैं आपको मेरे बच्चे को बचाने के लिए धन्यवाद कहने आया हूँ। यह कहते हुए उन्होंने एक बड़ी रकम देने की पेशकश किया। फ्लेमिंग ने उनके प्रस्ताव को ठुकरा दिया। उसने कहा, मैंने जो कुछ किया उसके बदले में पैसा नहीं लूँगा। जान बचाना मेरा कर्तव्य है, मानवता है, इंसानियत है, इंसानियत और मानवता का कोई मोल नहीं होता है।
गरीब किसान के स्वभिमान से प्रभावित होकर राडॉल्फ़ चर्चिल कुछ और कहना ही चाह रहे थे कि इतने में फ्लेमिंग का बेटा झोपड़ी के दरवाजे पर आया। उसे देखकर राडॉल्फ़ चर्चिल फ्लेमिंग से बोले, अगर आपको मेरा पैसे लेना मंजूर नहीं है, तो आप कम से कम इस बच्चे की शिक्षा की जिम्मेदारी मुझे लेने दीजिए। मैं इसे उसी स्कूल में एडमिसन दिलवाऊंगा, जिसमे मेरा बेटा पढ़ता है। उसके आगे भी ऊँची शिक्षा दिलवाऊंगा, फिर आपका बेटा एक ऐसा इंसान बनेगा जिसपर हम दोनों गर्व महसूस करेंगे। सज्जन की बात सुनकर फ्लेमिंग ने सोचा मैं तो कभी भी अपने बच्चे को उच्च शिक्षा नहीं दिला पाऊंगा और ना ही उसे वे सुविधाएँ दिला पाउँगा जिससे कि वह बड़ा आदमी बन सके। अपने बच्चे के भविष्य के लिए फ्लेमिंग तैयार हो गए। अब फ्लेमिंग के बेटे को सर्वश्रेष्ठ स्कूल में पढ़ने का मौका मिल गया। आगे पढ़ते हुए उसने लन्दन के प्रतिष्ठित सेंट मैरीज मेडिकल स्कूल में स्नातक का डिग्री हासिल किया। आगे चलकर यह वही स्वाभिमान किसान का बेटा पूरी दुनिया में ‘पेनिसिलिन का अविष्कारक’ महान वैज्ञानिक सर अलेक्जेंडर फ्लेमिंग के नाम से विख्यात हुआ।
कुछ वर्षो बाद उस अमीर के बेटे को निमोनिया हो गया। उसकी जान ‘पेनिसिलीन’ के इंजेक्सन से ही बची। उस अमीर राडॉल्फ़ चर्चिल के बेटे का नाम था विंस्टन चर्चिल जो दो बार ब्रिटेन के प्रधानमंत्री रहे। इसलिए कहते हैं कि अच्छे कर्मो का फल अच्छा ही होता है। हम जो करते है वही लौटकर हमारे पास आता है।