अच्छा सुनो,
अच्छा सुनो,
मैं लिखूं और तुम ही पढ़ पाओ,
ऐसा कभी होगा क्या।
मैं कुछ बोलूं और सिर्फ तुम ही
सुन पाओ,
ऐसा कभी होगा क्या।
मैं तेरा नाम पुकारूं और तुम सामने
आ जाओ,
ऐसा कभी होगा क्या।
तुम थाम लो हाथ मेरा और मैं सपनों में खो जाऊं,
ऐसा कभी होगा क्या।
तुम कह दो सारी बातें दिल की और मैं रो जाऊं,
ऐसा कभी होगा क्या।
तेरे सभी दर्द लेकर तुझको खुशियां
दे पाऊं,
ऐसा कभी होगा क्या।
ज्योति रौशनी