Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 May 2024 · 1 min read

अच्छा लगना

मुझे अच्छा लगता है जब
मैं सूर्योदय से पहले उठ जाती हूं
गंगा किनारे सीढ़ियों में सूर्य उदय के लिए
आकाश की ओर टकटकी लगा कर देखती हूं
मुझे अच्छा लगता है जब
मैं चिड़ियों की आवाज के साथ कुछ गुनगुनाती हूं
कभी तितलियों के लिए अपनी बाहें फैलाती हूं
मुझे अच्छा लगता है जब
मैं अपनी बगिया से पुष्प चुन-चुन कर
शिवलिंग पर चढ़ाती हूं
नित्य नए ढंग से पुष्प लगाकर घंटों निहारती हूं
मुझे अच्छा लगता है जब
सुबह के कुछ क्षण अपने लिए निकाल कर
योगा करती हूं और ओम ध्वनि में घुल सी जाती हूं
मुझे अच्छा लगता है जब
मैं अंतर्मन से कोई कविता बनाती हूं
और अनकही बातें कविता में कह जाती हूं
मुझे अच्छा लगता है जब
अब उम्र बढ़ने के साथ प्रेम परिपक्वता लिये
नजदीकियों और बढ़ जाती है
एक दूसरे के बिना जिंदगी नहीं चल पाती है

मौलिक एवं स्वरचित
मधु शाह (१७-१०-२२)

1 Like · 99 Views

You may also like these posts

ज़िंदगी में अपना पराया
ज़िंदगी में अपना पराया
नेताम आर सी
बहुत याद आता है
बहुत याद आता है
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
जिसका जैसा नजरिया होता है वह किसी भी प्रारूप को उसी रूप में
जिसका जैसा नजरिया होता है वह किसी भी प्रारूप को उसी रूप में
Rj Anand Prajapati
झूठे सपने
झूठे सपने
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
विनती
विनती
कविता झा ‘गीत’
बैठ गए
बैठ गए
विजय कुमार नामदेव
"कहने को "
Dr. Kishan tandon kranti
🌹ढ़ूढ़ती हूँ अक्सर🌹
🌹ढ़ूढ़ती हूँ अक्सर🌹
Dr .Shweta sood 'Madhu'
चाँद
चाँद
Vandna Thakur
इतनी भी तकलीफ ना दो हमें ....
इतनी भी तकलीफ ना दो हमें ....
Umender kumar
पूरा पूरा हिसाब है जनाब
पूरा पूरा हिसाब है जनाब
shabina. Naaz
!...............!
!...............!
शेखर सिंह
वक्त की दहलीज पर
वक्त की दहलीज पर
Harminder Kaur
#कृतज्ञतापूर्ण_नमन-
#कृतज्ञतापूर्ण_नमन-
*प्रणय*
राष्ट्रीय गणित दिवस
राष्ट्रीय गणित दिवस
Tushar Jagawat
बाल दिवस
बाल दिवस
Dr Archana Gupta
सवाल ये नहीं
सवाल ये नहीं
Dr fauzia Naseem shad
आ मिल कर साथ चलते हैं....!
आ मिल कर साथ चलते हैं....!
VEDANTA PATEL
छोड़ो टूटा भ्रम खुल गए रास्ते
छोड़ो टूटा भ्रम खुल गए रास्ते
VINOD CHAUHAN
सत्य राम कहॉं से लाऊँ?
सत्य राम कहॉं से लाऊँ?
Pratibha Pandey
डॉ अरुण कुमार शास्त्री -
डॉ अरुण कुमार शास्त्री -
DR ARUN KUMAR SHASTRI
23/71.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/71.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
*बचकर रहिएगा सॉंपों से, यह आस्तीन में रहते हैं (राधेश्यामी छंद
*बचकर रहिएगा सॉंपों से, यह आस्तीन में रहते हैं (राधेश्यामी छंद
Ravi Prakash
लहू का कारखाना
लहू का कारखाना
संतोष बरमैया जय
A Hopeless Romantic
A Hopeless Romantic
Vedha Singh
कुंडलिया . . .
कुंडलिया . . .
sushil sarna
बजाओ धुन बस सुने हम....
बजाओ धुन बस सुने हम....
Neeraj Agarwal
*
*"बीजणा" v/s "बाजणा"* आभूषण
लोककवि पंडित राजेराम संगीताचार्य
प्रेम में मिट जाता है, हर दर्द
प्रेम में मिट जाता है, हर दर्द
Dhananjay Kumar
घर हो तो ऐसा
घर हो तो ऐसा
Dr. Pradeep Kumar Sharma
Loading...