अच्छा आदमी कभी नहीं बन सकता
सन्यासी होना जोगीनुमा वस्त्र धारण मात्र करना नहीं होता, गुरु बनना किसी सरकारी स्कूल में पढ़ाना मात्र नहीं होता, पेरेंट्स बनना बच्चे पैदा करना मात्र नहीं होता, जैसे अच्छा दिखना अच्छा बनना मात्र नहीं होता – सन्यासी मन के आवेग से बना जा सकता है इसके लिए किसी स्पेसिफिक भेषभूषा नहीं चाहिए ठीक इसी तरह गुरु बनने के लिए वे सभी प्रकार के गुण विद्यमान होने ज़रूरी है जो भी इसके वास्ते कसौटियां बनी हैं, पेरेंट्स बन जाना मात्र उपलब्धि नहीं है असल में एक पिता/माँ क्या होता/होती है इस बात को गहरे अंर्तमन से सोचकर देखना पडेगा अंतिम बंध है कि अच्छा होना- अच्छा आदमी कभी नहीं बन सकता इसके लिए वे फज़ूल कोशिशें हमेशा से करता आया है- जो तुम्हारे नज़रों में बेहतर होगा वो किसी के नज़रों में घटिया होगा जो घटिया होगा वो भी कहीं न कहीं पूजनीय होगा और ये नियम पूरे संसार के सारे विदुषियों पर लागू होता है।
©️®️Brijpal Singh
Dehradun, Uttarakhand