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22 Jul 2023 · 1 min read

अचानक जब कभी मुझको हाँ तेरी याद आती है

अचानक जब कभी मुझको हाँ तेरी याद आती है
मेरे चारों तरफ़ ख़ुश्बू गुलों की फैल जाती है

ज़माने हो गए तुझको नहीं देखा मगर फिर भी
सुबह हर रोज़ ख़्वाबों से तेरी पायल जगाती है

मेरी तक़दीर से मैं जब कभी गुस्से में रहता हूँ
मेरे कानों में नग़्मा-ए-सुकूँ तू गुनगुनाती है

मुझे मालूम है तू अब मेरी हो ही नहीं सकती
यहीं इक बात रह-रह के बहुत ज़्यादा रुलाती है

Johnny Ahmed क़ैस

Language: Hindi
116 Views

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