अचरज-अनमोल-उपहार #100 शब्दों की कहानी#
दिपावली का त्यौहार हर साल इंदौर में मनाया जाता, पूजनीय दादी, माता-पिता, तीनों चाचा-चाची, इकलौती अविवाहित बुआ, हम आठ बहनों में एक अनमोल भाई प्रसाद सब के साथ । बुआ सबसे बड़ी थी परिवार में, सो नौकरी करते हुए सबकी परवरिश भी करती रही, वह अपने भाई-भाभियों के साथ ही हमें भी दिपावली का उपहार दिया करती, खुशी जरूर होती, पर समझ नहीं थी ।
एक दिन अचानक वह हमें हमेशा के लिए अकेले छोड़ गयीं । जाने के बाद पता चला, डाकघर में भतीजे-भतीजियों के नाम से बचत करी बुआ ने , यह अचरज-अनमोल-उपहार यादगार-रूप में जीवित है ।