अगर नशा सिर्फ शराब में
अगर नशा सिर्फ शराब में होती तो तेरे दर क्यों आतें साकी
जो जाम आंखों से तुमने पिलाया था उसकी कसक आज़ भी हैं बाकी।।
अब तो चाहत हैं तेरे दर पे मिट जाना
चाहे जाम समझकर तुम खुद पी जाना
तेरा दिलवर नहीं,तेरे नशें का गुलाम बोल रहा हैं
अगर जाम को ज़हर कहके पिलाओगी तब भी आज ये दिलबर पी जाएगा।।