“अगर तुम न होते”…
“अगर तुम न होते”…
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अगर तुम न होते……..
वतन के लोगों के आंखों में,
आज पानी न होती।
आज संगीत की ये कहानी ना होती।
अगर तुम न होते……..
प्यार करके सब ही डरा होता;
छुप छुप के आहें भरा होता;
इस गीत की रवानी ना होती।
अगर तुम न होते……..
परदेशिया सच है पिया सब न कहते;
मैंने तुझको दिल दे दिया;
ये गीत किसी का दिल न लेते।
अगर तुम न होते……..
पिया बिना, पिया बिना;
लागे ना, लागा ना होता;
ये गीत किसी मन में जागा न होता।
अगर तुम न होते……..
शीशा हो या दिल हो;
आखिर कभी न टूटते;
ये गाने लबों को न लुटते।
अगर तुम न होते……..
दीदी तेरा देवर दीवाना न होता;
हाय राम कुड़ियों को दाना न होता;
आज ये गाना ना होता।
अगर तुम न होते……..
दिल तो पागल ना होता;
ना ही दिल दीवाना होता;
इससे हर कोई अनजाना होता।
अगर तुम न होते……..
तू जहां जहां चलेगा;
मेरा साया साथ न होता;
ये गीत किसी के हाथ न होता।
अगर तुम न होते……..
हर सांसों में तू समाया ना होता;
तेरा जीवन आज किसी का साया ना होता;
ये गीत किसी ने गाया ना होता।
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स्वरचित सह मौलिक;
……✍️पंकज कर्ण
………कटिहार।।