अगर तुम आ जाते इक बार…
अगर तुम आ जाते इक बार,
बहारें खुद चलकर आतीं,
तुम्हारे आने भर से ही,
मुरादें पूरी हो जातीं,
अगर तुम आ जाते इक बार…
पवन प्रिय चलती फरर फरर,
खुशी से तरुवर लहराते,
गगन में घिर आते घनश्याम,
पंखेरू पंख फरफराते,
अगर तुम आ जाते इक बार…
गेंहू की बाली के मानिंद,
झूमती मैं भी इधर-उधर,
सुमन-सौरभ से कर श्रृंगार
लुभाती तुमको रह रहकर
अगर तुम आ जाते इक बार…
युवा वय यौवन का यह भार,
सहन अब कर नहीं पाती है,
कहूँ क्या मैं भी तुमसे हाय!
मुझे तो लज्जा आती है,
अगर तुम आ जाते इक बार…
तुम्हारे बिन नीरस सा लगे,
जमाने भर का गीत संगीत,
जहाँ में कोई न तुम जैसा,
लुटा दूँ जिस पर अपनी प्रीत,
अगर तुम आ जाते इक बार…
✍ – सुनील सुमन