Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 Dec 2023 · 1 min read

अगर आप अपनी आवश्यकताओं को सीमित कर देते हैं,तो आप सम्पन्न है

अगर आप अपनी आवश्यकताओं को सीमित कर देते हैं,तो आप सम्पन्न हैं।

पारस नाथ झा

224 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Paras Nath Jha
View all
You may also like:
बरसात का मौसम सुहाना,
बरसात का मौसम सुहाना,
Vaishaligoel
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Dr. Sunita Singh
Orange 🍊 cat
Orange 🍊 cat
Otteri Selvakumar
नन्ही भिखारन!
नन्ही भिखारन!
कविता झा ‘गीत’
*पतंग (बाल कविता)*
*पतंग (बाल कविता)*
Ravi Prakash
बख्श मुझको रहमत वो अंदाज मिल जाए
बख्श मुझको रहमत वो अंदाज मिल जाए
VINOD CHAUHAN
..
..
*प्रणय*
कृष्णा तेरी  बांसुरी , जब- जब  छेड़े  तान ।
कृष्णा तेरी बांसुरी , जब- जब छेड़े तान ।
sushil sarna
"अजीब रिवायत"
Dr. Kishan tandon kranti
जुदाई की शाम
जुदाई की शाम
Shekhar Chandra Mitra
चेहरे की पहचान ही व्यक्ति के लिये मायने रखती है
चेहरे की पहचान ही व्यक्ति के लिये मायने रखती है
शेखर सिंह
मेखला धार
मेखला धार
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
पितृ दिवस
पितृ दिवस
Dr.Pratibha Prakash
शातिर हवा के ठिकाने बहुत!
शातिर हवा के ठिकाने बहुत!
Bodhisatva kastooriya
"छोटे से गमले में हैं संभलें पौधे ll
पूर्वार्थ
मांँ
मांँ
Diwakar Mahto
*पुस्तक*
*पुस्तक*
Dr. Priya Gupta
हर दिल में एक टीस उठा करती है।
हर दिल में एक टीस उठा करती है।
TAMANNA BILASPURI
Ultimately the end makes the endless world ....endless till
Ultimately the end makes the endless world ....endless till
सिद्धार्थ गोरखपुरी
चराग़ों ने इन हवाओं को क्या समझ रखा है,
चराग़ों ने इन हवाओं को क्या समझ रखा है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
वह बचपन के दिन
वह बचपन के दिन
Yogi Yogendra Sharma : Motivational Speaker
वो जो कहें
वो जो कहें
shabina. Naaz
4231.💐 *पूर्णिका* 💐
4231.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
मुमकिन हो जाएगा
मुमकिन हो जाएगा
Amrita Shukla
विचार, संस्कार और रस [ दो ]
विचार, संस्कार और रस [ दो ]
कवि रमेशराज
ॐ
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
मैंने अपनी तन्हाई में
मैंने अपनी तन्हाई में
Chitra Bisht
रफ़्ता रफ़्ता (एक नई ग़ज़ल)
रफ़्ता रफ़्ता (एक नई ग़ज़ल)
Vinit kumar
मैंने इन आंखों से ज़माने को संभालते देखा है
मैंने इन आंखों से ज़माने को संभालते देखा है
Phool gufran
अब नई सहिबो पूछ के रहिबो छत्तीसगढ़ मे
अब नई सहिबो पूछ के रहिबो छत्तीसगढ़ मे
Ranjeet kumar patre
Loading...