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3 Jan 2024 · 1 min read

अक्सर लोग सोचते हैं,

अक्सर लोग सोचते हैं,
कि यदि ऐसा करेंगे
तो चार लोग क्या कहेंगे?
वैसा करेंगे
तो चार लोग क्या कहेंगे?
और यदि ऐसा_वैसा नहीं भी करेंगे,
तो फिर चार लोग क्या कहेंगे?
परीक्षा से पहले
परिणाम की फिक्र
और नाम से पहले
बदनाम की फिक्र..!
इसी उधेड़बुन में
धीरे धीरे
उम्र गुजर जाती है
दिल की बात
चार लोगों के चक्कर में
दिल में ही दबी रह जाती है।
किंतु यह पर्याप्त नहीं
अपने हित की बात नहीं!
इस उलझन को छोड़ो अब
इस जकड़न को तोड़ो अब
लक्ष्य अटल रखना है तो
चार लोगों की बात भुलाकर
खुद को खुद से जोड़ो अब।
खुद को खुद से जोड़ो अब।।
@करन केसरा

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