अक्षम_सक्षम_कौन?
कोरोना ने नए-नए सबक़ बहुत सिखाए हैं,
लोगों को फ़ुरसत में समझ बखूबी आए हैं।
वक्त के साथ मिले गहरे अनुभव हर रोज़ नए,
कोरोना काल में सहज ही सहन करना सीख गए।
मजबूरी में और रुकावट में जब रहना हुआ,
प्रत्यक्ष जीवंत अकेलेपन को जब सहना हुआ।
दंग रह गए देख-समझ कर अक्षम का मनोयोग,
वे जो हैं अक्षम और उठने बैठने में असमर्थ लोग।
हमारी अपनी जीने की इछाशक्ति की परख हुई,
अक्षम की क्षमता देख अहम की दिवार दरक गई।
घड़ियाँ ये उनको देखने की दृष्टि में नए रंग भर गई,
अक्षम की असीम इच्छाशक्ति और मनोशक्ति दंग कर गई।
मिला उनकी हज़ार गुणा इच्छाशक्ति का आभास नया,
अक्षम की अकल्पनीय मनोशक्ति का अहसास हुआ।
तथाकथित सक्षम तो अल्प काल में ही टूट गए,
उन लोगों ने विपरीत हाल में भी छुए हैं आयाम नए।
खजान सिंह नैन