अकेले हो जाते हैं न हम जैसे लोग, जिनके पास खो देने को कोई एक
अकेले हो जाते हैं न हम जैसे लोग, जिनके पास खो देने को कोई एक ही रहता है, जिन्हे कुछ और पाने की तलब नहीं रहती है!
वो एक शख़्स जिसपर सारी अपनी सारी उम्मीदों का दार-ओ-मदार छोड़ देते हैं हम उसी की बिखरी, वक्त से सहमी आवाज़ तोड़ देती है हमें। वो जिसपर यकीन होता है कि दुनिया भर से हारकर जब हम लौटेंगे उसके पास तो जीत जायेंगे… जब वही हमारी हार पर रो पड़े तो क्या ही बचता है फिर?
ज़िंदगी सीखती रहती है। एक वक्त आता है जब हम नहीं सीख पाते ज़िंदगी से कदम-ताल और बस फिसल जाते हैं। ज़िंदगी उन रास्तों पर छोड़ देती है जहाँ से गुजरता हर काफ़िला हमें, हमारी तन्हाईयाँ बयां करती है।
क्या विडंबना है कि अपनी हार से ज्यादा पीड़ा हमें उसके हार से होती है, जिसके करीब होने भर से हम खुद को विजेता महसूस करते थे। प्रेम… हम नहीं जानते हैं बस पता है कि उसके आसूंओं पर हमारी दुनिया बिखर जाती है। ❤