अकेला ही मुसाफ़िर हूँ ।
फिसलते संगमरमर पर सभी के पैर देखे हैं,
उमर छोटी सी है लेकिन अपने-ग़ैर देखे हैं ।
मैं इक उजड़े हुए दिल का अकेला ही मुसाफ़िर हूँ ।
दिलों में बस,निकलते लोग करते सैर देखे हैं ।
*अंजान
फिसलते संगमरमर पर सभी के पैर देखे हैं,
उमर छोटी सी है लेकिन अपने-ग़ैर देखे हैं ।
मैं इक उजड़े हुए दिल का अकेला ही मुसाफ़िर हूँ ।
दिलों में बस,निकलते लोग करते सैर देखे हैं ।
*अंजान