अकेला रह गया शायर
चाहा था जिसे
कभी उसने
अपनी आख़िरी
ख्वाहिश की तरह
उसकी ज़िंदगी हुई
किसी और की
आज अकेला
रह गया शायर…
(१)
माना था जिसे
कभी उसने
अपने आप से
ज़्यादा अपना
उसकी आशिकी हुई
किसी और की
आज अकेला
रह गया शायर…
(२)
तराशा था जिसे
कभी उसने
अपने दिल का
सुर्ख़ लहू देकर
उसकी शायरी हुई
किसी और की
आज अकेला
रह गया शायर…
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Shekhar Chandra Mitra
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