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11 Aug 2024 · 1 min read

अकेलापन

अकेलापन

कहाँ भाग जाते अकेला समझ कर।
नहीं रुख मिलाते पराया समझ कर।
बिछड़ते सदा प्रीति को तुम मसल कर।
चले जा रहे प्रिय हमेशा मचल कर।

सदा भागता भाग्य हरदम मुकर कर।
नहीँ साथ देता अकिंचन समझ कर।
बुरे वक्त में कौन आता दुखद घर।
यहाँ कौन अपना रुको आस तज कर।

साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।

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