अक़्सर बूढ़े शज़र को परिंदे छोड़ जाते है अक़्सर बूढ़े शज़र को परिंदे छोड़ जाते है नर्म छाँव के रिश्तों का धागा तोड़ जाते है ✍️©®’अशांत’ शेखर