*** अंधेरे बहुत है ***
अंधेरे बहुत है तन्हाइयों के
कह दो तो हम शमां लेके आये
कहकर तो देखो शमां दिल की जलाये
जगा देंगे हम तो अरमां दिल में सोये
जली जो ये शमां मिटाने अंधेरा
कहीं खुद ही ना बुझ जाये
तुम ना रूठो तुम ना रोना
यदि फ़ख्र है मेरी वफ़ा पे
प्यासा है दरिया ये हमने है जाना
खुद डूबने की ख़ातिर बेताब दिल है
मय क्या पिलाये मदहोश हो तुम
आँखों में है आबाद मयखाना तेरे
कहते हो अनजान जहां से तुम हो
ये कैसे यूं ही अब हम मान जायें
अंधेरे बहुत है तन्हाइयों के
कह दो तो हम शमां लेके आये
कहते हो उड़ाने पतंग प्यार की तुम
कभी सोचा है पतंग कट ना जाये
मिलेंगे तो सब समझा देंगे तुमको ।।
?मधुप बैरागी