अंधेरा और बदनसीबी
तन्हाई से कोफ्ट नहीं होती मुझे ,
बल्कि अंधेरों से डर लगता है ।
क्योंकि तन्हाई से मिलती कलम को जिंदगी ,
और अंधेरा बदनसीबी का बुना जाल लगता है ।
तन्हाई से कोफ्ट नहीं होती मुझे ,
बल्कि अंधेरों से डर लगता है ।
क्योंकि तन्हाई से मिलती कलम को जिंदगी ,
और अंधेरा बदनसीबी का बुना जाल लगता है ।