Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
31 Jan 2022 · 1 min read

अंधविश्वास

अंधविश्वास में तर्क और विवेकपूर्ण विश्लेषण के लिए कोई स्थान नहीं है।

Language: Hindi
3 Likes · 324 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Shyam Sundar Subramanian
View all
You may also like:
जो सुनना चाहता है
जो सुनना चाहता है
Yogendra Chaturwedi
हंसवाहिनी दो मुझे, बस इतना वरदान।
हंसवाहिनी दो मुझे, बस इतना वरदान।
Jatashankar Prajapati
जी करता है , बाबा बन जाऊं – व्यंग्य
जी करता है , बाबा बन जाऊं – व्यंग्य
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
" हैं पलाश इठलाये "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
लोग ऐसे दिखावा करते हैं
लोग ऐसे दिखावा करते हैं
ruby kumari
मुस्कुरा देने से खुशी नहीं होती, उम्र विदा देने से जिंदगी नह
मुस्कुरा देने से खुशी नहीं होती, उम्र विदा देने से जिंदगी नह
Slok maurya "umang"
इस कदर भीगा हुआ हूँ
इस कदर भीगा हुआ हूँ
Dr. Rajeev Jain
इश्क़
इश्क़
हिमांशु Kulshrestha
‘ विरोधरस ‘---7. || विरोधरस के अनुभाव || +रमेशराज
‘ विरोधरस ‘---7. || विरोधरस के अनुभाव || +रमेशराज
कवि रमेशराज
बुढ़ापा हूँ मैं
बुढ़ापा हूँ मैं
VINOD CHAUHAN
*
*"प्रकृति की व्यथा"*
Shashi kala vyas
बोलती आंखें🙏
बोलती आंखें🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
■ विनम्र अपील...
■ विनम्र अपील...
*प्रणय प्रभात*
आंखें
आंखें
Ghanshyam Poddar
तेरे दिल की आवाज़ को हम धड़कनों में छुपा लेंगे।
तेरे दिल की आवाज़ को हम धड़कनों में छुपा लेंगे।
Phool gufran
घाव चाहे शरीर को मिले या मन को
घाव चाहे शरीर को मिले या मन को
Sonam Puneet Dubey
कदम भले थक जाएं,
कदम भले थक जाएं,
Sunil Maheshwari
तारिणी वर्णिक छंद का विधान
तारिणी वर्णिक छंद का विधान
Subhash Singhai
क्यों करते हो गुरुर अपने इस चार दिन के ठाठ पर
क्यों करते हो गुरुर अपने इस चार दिन के ठाठ पर
Sandeep Kumar
रिश्ते प्यार के
रिश्ते प्यार के
Dr. Akhilesh Baghel "Akhil"
"" *नवीन नवनीत* ""
सुनीलानंद महंत
विनम्रता, सादगी और सरलता उनके व्यक्तित्व के आकर्षण थे। किसान
विनम्रता, सादगी और सरलता उनके व्यक्तित्व के आकर्षण थे। किसान
Shravan singh
लब्ज़ परखने वाले अक्सर,
लब्ज़ परखने वाले अक्सर,
ओसमणी साहू 'ओश'
मकड़ी ने जाला बुना, उसमें फँसे शिकार
मकड़ी ने जाला बुना, उसमें फँसे शिकार
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
" गुरु का पर, सम्मान वही है ! "
Saransh Singh 'Priyam'
माँ
माँ
meena singh
अपने होने का
अपने होने का
Dr fauzia Naseem shad
3146.*पूर्णिका*
3146.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
चलती जग में लेखनी, करती रही कमाल(कुंडलिया)
चलती जग में लेखनी, करती रही कमाल(कुंडलिया)
Ravi Prakash
सबको
सबको
Rajesh vyas
Loading...