— अंधभक्ति का चैम्पियन —
“भारत ” जी अपना भारत, जिस देश के हम सब रहने वाले हैं, मैं उसी देश की बात कर रहा हूँ, यहाँ पर अंधभक्ति लोगों में कूट कूट कर भरी पड़ी है, बेशक ज्यादातर लोग पढ़े लिखे हैं, पर जो रिकॉर्ड्स सामने आते हैं, मैं भी उस के आधार पर यह लेख लिख रहा हूँ !
न जाने कितने संत, बाबा, माता, देवियां – खुद को भगवान् बनाकर लोगों की भावनाओ के साथ खिलवाड़ करते नजर आ रहे हैं, कहता तो मैं भी अच्छा नहीं लगता, पर कभी कभी दिल मजबूर कर देता है, कि ऐसी भी क्या अंधभक्ति जिस के पीछे सब लोग अंधे हो जाएँ ! कि वो सही और गलत क्या है उसका फर्क भी महसूस न कर सकें !
खाली लाल वस्त्र, गेहुए वस्त्र, सफ़ेद वस्त्र या अलग अलग प्रकार के वस्त्र धारण कर के , हाथ में मोर पंखी लेकर, या चुनरी ओढ़ कर, या अपने सारे बाल खोलकर , झूमते हुए पब्लिक के बीच में अपना जलवा ऐसा बिखरे लग पड़े हैं, कि लोग अपने भगवान् को भूलकर उन के चरणों में हाथ लगाने लग पड़े हैं, उनके चरणों में सर झुकाकर ऐसा प्रतीत करने लगे है, जैसे यह ही उनके प्रभु हों !
नहीं, ऐसा सिर्फ ज्यादातर वहां होता है, जहाँ आप अपना वस्त्र उठाकर अपने पेट दिखाने लग जाते हो, मेरे कहने का मतलब है, कि आप खुद अपने घर की साड़ी बातें वहां बताकर इक आशा की उम्मीद के साथ नतमस्तक होते हो, क्योंकि आप अंदर से दुखी हो, और ऐसे लोग आपके दुखी होने का पूरा फायदा उठाने के लिए ही ढ़ोंगीपन के साथ बैठे हैं ! जब आपने अपने पेट की हर बात वहां जाकर बताओगे, तो क्यूँ न सामने वाला आपको कैश करेगा, समझ जब आएगी तक तक बहुत कुछ लूटा बैठोगे !
आज लोगों की मानसिकता देखकर बहुत हैरानी होती है, जिस से जाकर अरदास कर रहे हो, वो तो खुद ही दुखों से ग्रस्त होगा, वो तुम्हारा भला कहाँ से करेगा, माफ़ करना जो लिख रहा हूँ, वो सत्य के आधार पर ही लिख रहा हु, समाज की ज्यादातर महिलायें ही सब से पहले इनके चक्कर में पड़ जाती हैं, यह नहीं कह रहा हूँ , की सब पड़ जाती है, पर बहुत सी महिलायें सब से पहले इन बाबाओं के चुंगल में फस्ती है, धीरे धीरे घर के अन्य सदस्यों को भी ले जाना शुरू कर देती है ! आज नाम दान के नाम पर न जाने कितने लोग ग्रस्त है, जिनका मार्गदर्शन करने के लिए बहुत लोग बैठे हैं , पर सत्यता क्या है, वो नजर से काफी दूर है !
राम राम , कृष्णा कृष्णा ,राधे श्याम, सीता राम, ॐ नमः शिवाय , वाहेगुरू सतनाम , अल्लाह हूँ अकबर, जीज़स यीशु मसीह – न जाने कितने ही नाम , मन्त्र हमारे संसार में सिद्ध मन्त्र हैं, जिन को जप लेने से ही इंसान का कल्याण हो जाता है, फिर किस बात की अंधभक्ति में पद कर वक्त बर्बाद करते हो ! कितने ही बाबा जिनके लोग अंध विश्वासी बनकर जाते थे, आज उनका क्या हश्र है, जो खुद न अपना बेड़ा पार कर सके, वो तुम्हारा कैसे कर देंगे !
यह संसार एक मोह माया का संसार है, इस संसार में हर एक दूसरा आपकी जेब में से, अपनी तरफ खींचने के लिए बैठा है , बस वो उस वक्त तक का इंतजार करते है, जिस वक्त तक आप उनके शिष्य नहीं बन जाते , समाज में बहुत से काम हैं, जिनको करने से मानव जाति का कल्याण हो जाएगा, फिर आप उनकी तरफ इतना झुकाव लेकर क्यूँ समय बर्बाद कर रहे हो ! आप समझ रहे हो, कि आपका धन सही जगह जा रहा है, सामने वाला समझ रहा है, अगले बार पड़ोसिओं को भी साथ लाना, फिर 2 से 4 , 4 से 8 सिलसिला जारी रहेगा, पर तब तक वक्त हाथ से निकल जाएगा !
अंधभक्ति की कोई सीमा नहीं होती, यह तो बड़ी जल्दी से शुरू होती है, पर इसका अंत बड़ी मुश्किल से होता है, तब तक नहीं होता, जब तक भकत अपनी आँखों से सब कुछ नहीं देख लेता, सब कुछ नहीं समझ लेता , किसी के समझाने से थोड़े न वो मानेगा, वो अपने आप ही मानेगा , जब उस को वहां से ठेस पहुंचेगी , तब जाकर उस को एहसास होगा, कि मैं आज तक अँधेरे में भटक रहा था !
अजीत कुमार तलवार
मेरठ