अंदाज़।
अंदाज़ ही उसका अलग होता है।
यूं जिसके सीने में जिगर होता है।।
हवा का रुख खुद ही मुड़ जाता है।
शाहशाहों का आगाज़ जुदा होता है।।
✍✍ताज मोहम्मद✍✍
अंदाज़ ही उसका अलग होता है।
यूं जिसके सीने में जिगर होता है।।
हवा का रुख खुद ही मुड़ जाता है।
शाहशाहों का आगाज़ जुदा होता है।।
✍✍ताज मोहम्मद✍✍