Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Jul 2023 · 1 min read

अंदाज़े शायरी

पीर पराई अपनी हो जाए
तो कुछ बात बने |
जिन्दगी दूसरों की अमानत हो जाए
तो कुछ बात बने ||

1 Like · 308 Views
Books from अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
View all

You may also like these posts

ख़ुद की हस्ती मिटा कर ,
ख़ुद की हस्ती मिटा कर ,
ओसमणी साहू 'ओश'
ये वक़्त कभी असुरक्षित करता है तो कभी सुरक्षित,
ये वक़्त कभी असुरक्षित करता है तो कभी सुरक्षित,
Ajit Kumar "Karn"
ढलती साँझ
ढलती साँझ
शशि कांत श्रीवास्तव
प्रजातन्त्र आडंबर से नहीं चलता है !
प्रजातन्त्र आडंबर से नहीं चलता है !
DrLakshman Jha Parimal
चुनाव में मीडिया की भूमिका: राकेश देवडे़ बिरसावादी
चुनाव में मीडिया की भूमिका: राकेश देवडे़ बिरसावादी
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
- तेरे बिना जी नही पाऊंगा -
- तेरे बिना जी नही पाऊंगा -
bharat gehlot
2650.पूर्णिका
2650.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
हिंदी दोहे-पुरवाई
हिंदी दोहे-पुरवाई
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
#हिरदेपीर भीनी-भीनी
#हिरदेपीर भीनी-भीनी
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
पापा
पापा
Dr Archana Gupta
रोला
रोला
seema sharma
" वो "
Dr. Kishan tandon kranti
ताशकंद वाली घटना।
ताशकंद वाली घटना।
Abhishek Soni
यमराज मेरा यार
यमराज मेरा यार
Sudhir srivastava
स्नेह - प्यार की होली
स्नेह - प्यार की होली
Raju Gajbhiye
Being corrected means we have been wrong , so it can be diff
Being corrected means we have been wrong , so it can be diff
पूर्वार्थ
हिंदी दिवस विशेष
हिंदी दिवस विशेष
रेखा कापसे
नारी तुम महान
नारी तुम महान
Seema gupta,Alwar
पर्वत दे जाते हैं
पर्वत दे जाते हैं
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
वो पत्थर याद आते हैं
वो पत्थर याद आते हैं
प्रकाश कुमार "बाग़ी"
सोच तो थी,
सोच तो थी,
Yogendra Chaturwedi
स्मार्ट फोन.: एक कातिल
स्मार्ट फोन.: एक कातिल
ओनिका सेतिया 'अनु '
आंखों से अश्क बह चले
आंखों से अश्क बह चले
Shivkumar Bilagrami
न मन को अब होगी
न मन को अब होगी
Dr fauzia Naseem shad
बाल कविता: मदारी का खेल
बाल कविता: मदारी का खेल
Rajesh Kumar Arjun
*रामपुर रियासत के कवि सय्यद नवाब जान की फारसी लिपि में हिंदी काव्य कृति
*रामपुर रियासत के कवि सय्यद नवाब जान की फारसी लिपि में हिंदी काव्य कृति "रियाजे जान"(1910 ईसवी)*
Ravi Prakash
#ग़ज़ल-
#ग़ज़ल-
*प्रणय*
उदासी की चादर
उदासी की चादर
Phool gufran
ग़ज़ल की नक़ल नहीं है तेवरी + रमेशराज
ग़ज़ल की नक़ल नहीं है तेवरी + रमेशराज
कवि रमेशराज
नखरे हज़ार तेरे, अपने सर उठाऊंगा,
नखरे हज़ार तेरे, अपने सर उठाऊंगा,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
Loading...