अंतिम संस्कार
अपनों में कोई गया ,श्वास-श्वास को हार ।
द्वार अतिथि आए सभी ,है अंतिम संस्कार ।।1
छोड़ गया संसार जो ,आती उसकी याद ।
परिजन सब ही रो रहे ,करते क्रंदन नाद ।।2
किया गया अब स्वच्छ घर ,अन्य हुए सब काम ।
रखी गई फोटो वहीं ,अंकित नीचे नाम ।।3
सभी आत्म दर्शन किए ,देह पड़ी जब खाट ।
घंटे भर रोना हुआ ,गई लाश फिर घाट ।।4
खेत बाग कोई गया ,कोई तो बाजार ।
तोड़ रहे हैं मौन अब ,पूछ रहे तिथि-वार ।।5
रही उदासी कुछ दिनों ,व्यस्त हुए घरबार ।
लौट चले सारे अतिथि ,अपने-अपने द्वार ।।6
भीड़ तेरही की जमा ,छक कर खाए भोज ।
लौटी दिनचर्या पुनः ,दिखा सभी में ओज ।।7
हाय-हाय करना नहीं ,अपने को ले रोक ।
मानुष तेरा है यहाँ ,तेरह दिन का शोक ।।8
भूल गए हैं सब तुम्हें ,जमी चित्र पर धूल ।
भाग रहे फिर पाँव नित ,समय हुआ अनुकूल ।।9
मुठ्ठी में बाँधे समय ,लाखों में वह एक ।
मिले तुम्हें अनमोल पल ,काज करो कुछ नेक ।।10
जीवन का सच जान ले ,रहे घाट तक साथ ।
छूटेंगे प्रियजन सभी , जाना खाली हाथ ।।11
डा. सुनीता सिंह ‘सुधा’
स्वरचित
वाराणसी