अंतस सूरत आपरी, अवळूं घणीह आय। अंतस सूरत आपरी, अवळूं घणीह आय। जस गावूं नित जोगणी, छैको चरण बुलाय।। जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया..✍️