Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 Oct 2018 · 4 min read

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के सही मायने

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के सही मायने
धार्मिक ग्रंथों में भी लिखा है कि जहां नारी की पूजा की जाती है वहां देवता निवास करते हैं । नारी को मातृशक्ति भी कहा जाता है । आज समाज में नारी सशक्तिकरण का नारा हर व्यक्ति की जुबान पर रहता है । नारी को देवी तुल्य रुप दिया गया है । यहां तक कि हमारे देश को भी भारत माता के नाम से पुकारा जाता है। आज विश्व स्तर पर नारी के महत्व एवं कार्यों का जोर-जोर से बखान किया जा रहा है । नारी के इस शशक्त रूप को देखकर वाकई नारी को सम्मान देने की बात सही लगती है । नारी समाज में अनेक रूपों में अपना किरदार निभाती है। वह बहन, बेटी, पत्नी, मां, भुआ व दादी बनकर समाज की कई जिम्मेदारियां लिए हुए हैं । नारी समाज का एक अभिन्न अंग है । इसके बगैर कोई भी सामाजिक कार्य नहीं किया जा सकता । नारी जगत जननी है । जिसके बिना यह संसार भी सूना है । महिला सशक्तिकरण के लिए हमारी सरकार , सामाजिक संगठन व अनेक बुद्धिजीवी लगातार प्रयास कर रहे हैं । आज बेटी को सर्वोपरि मानकर उसकी सुरक्षा एवं बचाव के लिए कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है । अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर विश्व भर में नारी सम्मान के लिए अनेक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं और अनेक स्थानों पर विशेष कार्य करने वाली महिलाओं को सम्मानित भी किया जाता है । लेकिन क्या वास्तव में नारी को इतना ही सम्मान दिया जाता है जितना आज समाचार पत्रों की सुर्खियों में है । देखा जाए तो शहरों व गाँवों के अधिकतर घरों में महिलाओं को ही साफ-सफाई जैसे कार्यों में रखा जाता है । समाज में नारी को पुरुष के समान महत्व ना देकर उसके महत्व को कम आंका जाता है। घर के महत्वपूर्ण निर्णयों में नारी के मत को विशेष महत्व नहीं दिया जाता। आज भी कई परिवार अपने घरों की बहू- बेटियों को नौकरी के लिए बाहर नहीं भेजते । समाज में कितनी ही सामाजिक बुराइयां केवल नारी के दामन को पकड़े हुए हैं , जिनमें सती प्रथा, बाल विवाह, कन्या हत्या इत्यादि । आज समाज में कानूनों के पारित होने के बाद भी विधवा महिलाओं को पुनर्विवाह करने की अनुमति मिलना बहुत मुश्किल है । हालांकि सरकार ने कानूनी रूप से महिलाओं को सामाजिक बंधनों से छुटकारा दिलाने में कई कानून पास किए लेकिन रूढ़िवादी लोग इन कानूनों को ठेंगा दिखाकर बहू-बेटियों को आज भी पर्दे की आड़ में रखकर उन्हें आजादी देने के पक्ष में नहीं है। देखा जाए तो आज भी भारतीय राजनीति में महिलाओं की संख्या बहुत कम है हालांकि स्थानीय स्तर पर सरकार ने उन्हें एक तिहाई सीटे देने का प्रावधान रखा है लेकिन लोकसभा और राज्यसभा में उनकी सीटों की संख्या आज भी कम है। समाज के कई क्षेत्रों में उन्हें आज भी उचित सम्मान भी नहीं मिल पाता। आज बेटे के जन्म पर ढोल गानों के साथ कुआं पूजन किया जाता है जबकि बेटियों के जन्म पर यह केवल एक या दो प्रतिशत ही है । आज भी पिता अपनी बेटी के विवाह में दहेज देने के लिए मजबूर है जबकि दहेज एक सामाजिक बुराई है । वर्तमान में भी महिलाओं को घूंघट का सामना करना पड़ रहा है जिसे वह समाज के डर से अपनाने के लिए मजबूर है । आज पुरुष और महिलाओं के साथ कई नौकरियों में भी भेदभाव किया जाता है। हालाँकि महिला सशक्तिकरण के नाम पर कई संस्थाओं द्वारा समाज में जागृति फैलाई जा रही है लेकिन उन लोगों पर आज भी अंकुश लगाने की आवश्यकता है जो शोशल मीडिया व चल- चित्रों के माध्यम से नारी के चरित्र पर दाग लगाते हैं । साहसी नारियों को समाज में सम्मान व महत्व देते हुए उन्हें प्रेरणा का माध्यम बनाया जाना चाहिए। जरूरत है उस आम आदमी में जागरूकता लाने की जो आज भी प्राचीन समय से चली आ रही रूढ़िवादी परंपराओं जैसे सती प्रथा कन्या भ्रूण हत्या, पर्दा प्रथा के साथ-साथ नारी उत्थान को अभिशाप मानते हैं । इस बदलाव के लिए हमें अपनी मानसिकता में बदलाव लाना पड़ेगा। जिस तरह सभी लोग देवी को प्रमुख स्थान देते हैं। उसी तरह उन्हें नारी को भी उतना ही सम्मान देने की आवश्यकता है। मात्र खोखले दिखावे और नारे लगाने से नारी को उसका सम्मान नहीं मिलेगा । गहराई से सोच कर इन सभी महिलाओं को अधिकार दिलाना हम सब का कर्तव्य है। रूढ़िवादिता के भंवर में फंसी नारी शक्ति को बदली हुई मानसिकता के साथ इस भंवर से बाहर निकाला जा सकता है। आज मातृशक्ति का चित्रों के माध्यम से किया जा रहा अपमान पूर्णतः असहनीय है । सिनेमाघरों पर नारी का अपमान न केवल एक कलाकार का अपमान है बल्कि उस जगत जननी का भी अपमान है जिसके लिए जगह-जगह पर नारे लगाए जा रहे हैं। मैं हाथ जोड़कर सभी से निवेदन करता हूं महिलाओं को बराबर का सम्मान देकर उनकी प्रतिष्ठा को बढ़ाएं । इन सभी बातों को ध्यान में रखकर हम सही मायने में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अर्थ को समझ पाएंगे । स्वरचित लेख के माध्यम से नारी सम्मान में यह मेरी एक छोटी सी पहल है।

Language: Hindi
Tag: लेख
284 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मेरे प्रेम पत्र 3
मेरे प्रेम पत्र 3
विजय कुमार नामदेव
* मन में उभरे हुए हर सवाल जवाब और कही भी नही,,
* मन में उभरे हुए हर सवाल जवाब और कही भी नही,,
Vicky Purohit
*सबके भीतर हो भरा नेह, सब मिलनसार भरपूर रहें (राधेश्यामी छंद
*सबके भीतर हो भरा नेह, सब मिलनसार भरपूर रहें (राधेश्यामी छंद
Ravi Prakash
हकीकत को समझो।
हकीकत को समझो।
पूर्वार्थ
प्रकृति का बलात्कार
प्रकृति का बलात्कार
Atul "Krishn"
मेरा देश , मेरी सोच
मेरा देश , मेरी सोच
Shashi Mahajan
शीर्षक - बुढ़ापा
शीर्षक - बुढ़ापा
Neeraj Agarwal
कानून अंधा है
कानून अंधा है
Indu Singh
😢लुप्त होती परम्परा😢
😢लुप्त होती परम्परा😢
*प्रणय*
You never know when the prolixity of destiny can twirl your
You never know when the prolixity of destiny can twirl your
Chaahat
DR ARUN KUMAR SHASTRI
DR ARUN KUMAR SHASTRI
DR ARUN KUMAR SHASTRI
सिय का जन्म उदार / माता सीता को समर्पित नवगीत
सिय का जन्म उदार / माता सीता को समर्पित नवगीत
ईश्वर दयाल गोस्वामी
*.....उन्मुक्त जीवन......
*.....उन्मुक्त जीवन......
Naushaba Suriya
किरदार निभाना है
किरदार निभाना है
Surinder blackpen
स्वार्थ से परे !!
स्वार्थ से परे !!
Seema gupta,Alwar
जन्मदिन शुभकामना
जन्मदिन शुभकामना
डॉ नवीन जोशी 'नवल'
व्यक्तिगत अभिव्यक्ति
व्यक्तिगत अभिव्यक्ति
Shyam Sundar Subramanian
अंधभक्तो को जितना पेलना है पेल लो,
अंधभक्तो को जितना पेलना है पेल लो,
शेखर सिंह
बापक भाषा
बापक भाषा
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
जो लगती है इसमें वो लागत नहीं है।
जो लगती है इसमें वो लागत नहीं है।
सत्य कुमार प्रेमी
ये नोनी के दाई
ये नोनी के दाई
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
*हाथी*
*हाथी*
Dushyant Kumar
" युद्धार्थ "
Dr. Kishan tandon kranti
खूब तमाशा हो रहा,
खूब तमाशा हो रहा,
sushil sarna
4020.💐 *पूर्णिका* 💐
4020.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
जो लोग धन को ही जीवन का उद्देश्य समझ बैठे है उनके जीवन का भो
जो लोग धन को ही जीवन का उद्देश्य समझ बैठे है उनके जीवन का भो
Rj Anand Prajapati
कान्हा
कान्हा
Mamta Rani
मैं हूं कार
मैं हूं कार
Santosh kumar Miri
आपके मन की लालसा हर पल आपके साहसी होने का इंतजार करती है।
आपके मन की लालसा हर पल आपके साहसी होने का इंतजार करती है।
Paras Nath Jha
I've lost myself
I've lost myself
VINOD CHAUHAN
Loading...