अंतर्राष्ट्रीय जल दिवस
कुएँ – वापी – बाबड़ियाँ, नौले – मँगरे – ताल।
अक्षय जल के स्रोत ये, रक्खो इन्हें सँभाल।।
जल-संस्कृति को जान नर,जल है देव समान।
मिट न जाए परंपरा, कर इसका सम्मान।।
लुप्तप्राय जलस्रोत सब, देख रहे हम मूक।
गहराता संकट विकट, उठती मन में हूक।।
वर्षा जल की खान हैं, जल जीवन-आधार।
सूख न पाएँ स्रोत ये, भरें रहें भंडार।।
पानी बिन जीवन नहीं, वर्षा जल की खान।
बूँद-बूँद संग्रह करो, इसका अमृत जान।।
सत्रह प्रतिशत लोग हैं, जल का प्रतिशत चार।
भारतवासी भूलते, जल जीवन-आधार।।
© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद