अंतर्मन के दीप
मिटेगा ये तम है यकीन, लेकिन
इसके लिए दिल में दीये जलाने होंगे
देख लिए है हमने जलाकर घी के दीये भी
आंखों से नफरतों के परदे हटाने होंगे
जलेगी जब रूई विश्वास की
प्रेम का प्रकाश हर तरफ फैलेगा
मिट जायेगा अंतर तिमिर जब
बाहर भी सब कुछ नज़र आएगा
होता है जब भी अंधेरा जग में
उसको एक दीपक भी मिटा जाता है
हो परदे नफर और अविश्वास के गर
वो अंधेरा दीपक भी नहीं मिटा पाता है
है ज़रूर ये काम मुश्किल
लेकिन नामुमकिन नहीं है
हर बार आखिर में अंधेरे पर
रोशनी की ही जीत हुई है
घी के दिये जलाने के साथ साथ
जलाएंगे हम अपने मन के दीये भी
आओ करें फैसला इस दिवाली हम
मिटाएंगे अविश्वास और नफरतों के परदे भी
होगा जब प्रकाशमान अंतर्मन
देखकर सारे अंधेरे छंट जायेंगे
चांद पर दूर से दिखते है जो धब्बे
अपने आप में हम देख पाएंगे
जब देख पाएंगे हम अपनी कमियों को
तभी तो हम उनको दूर कर पाएंगे
आओ इस दिवाली हम मिटाएं इनको,
तभी तो हम असली रोशनी कर पाएंगे।