अंतर्मन की पीड़ा
किसे और कैसे बतलाऊँ
किसे और कैसे बतलाऊँ
अन्तर्मन की पीडा को
कौन यहॉ है,जो समझेगा
सम्वेदन की पीडा को ।
कोई नहीं दुनिया में अपना
सभी यहॉ बेगाने हैं ।
जाऊँ कहॉ मैं छोड़ विकल यह
अन्तर्मन की पीडा को ।।
अजब निराले ये रिश्ते हैं
कहने को सब अपने हैं
अपनों के हूँ बीच भले मैं
अनजाने पर सपने हैं ।
कहे- अनकहे रिश्तों की यह
कैसी अज़ब कहानी है ।
न जीने दे न मरने दे यह
अन्तर्मन की पीडा को ।।
आरती लोहनी