अंतर्जाल यात्रा
मिली छूट अभिव्यक्ति की ,फैला अंतर्जाल ।
गाँव नगर अब नाच के ,खूब बटोरो माल ।।1
वृद्ध युवा बच्चे सभी ,नाचें सब परिवार ।
नई बहुरिया नाचती ,खोले आँगन द्वार ।।2
साधे कोई सुर मधुर ,गाएँ नव रस गीत ।
राग बेसुरा छेड़ के , कोई ले जग जीत ।।3
करता कविता पाठ कवि ,बहती रस की धार ।
दिखे आन लाइन सभी ,जगत बाँटते प्यार ।।4
कवियों की इस बाढ़ में ,आए उतर हजार ।
पार हुए कितने बहुत ,डूब गए मझधार ।।5
कपड़ा कोई बेचता ,कोई गृह सामान ।
गूगल पेटीएम से ,होता है भुगतान ।।6
दिखा रहे इस्टंट सब ,देख सभी हैं दंग ।
टेक्नोलॉजी से मिला ,नव रस नव ही रंग ।।7
लुभा रहा हर वर्ग को ,अर्थ समय का खर्च ।
भाव भूमि की कल्पना ,करते मिलकर सर्च ।।8
ग्लोबल दुनिया गाँव में ,मिले ज्ञान भंडार ।
चित्र वीडियो से सजा ,नेट जाल व्यापार ।।9
संदेशों का ढेर है ,मिटा जाति का भेद ।
देते नित शुभकामना ,दुख पर करते खेद ।।10
तनहाई अब खत्म है ,गायब द्वाराचार ।
गुपचुप ही संसार में ,बढ़ता यह व्यापार ।।11
वेबसाइटें फेसबुक ,ट्यूटर इंस्टाग्राम ।
नेटवर्क यूट्यूब का ,बड़ा हुआ अब नाम ।।12
डेस्कटॉप दुनिया दिखे ,लैपटॉप भी साथ ।
टेबलेट में ब्राउजर , एंड्रॉयड है हाथ ।।13
डा. सुनीता सिंह ‘सुधा’
वाराणसी ,©®
30/10/2022