अंतरिक्ष
इस पूरे अंतरिक्ष में
कहीं तो संचित होंगे
मन के सब भाव ।
माना आज सब भाव
ग्रहों के साथ
यत्र तत्र बिखर गए
पर एक दिन ग्रहों की गति ही
सब भावों को एकत्र कर
तुम्हारे समक्ष
सब मूर्तिमान करेगी |
तब तुम्हें सब संशय तज
वापस आना ही होगा।
अंतरिक्ष का कार्य ही है
पुनः पुनः सब शक्तियों का
समेकन, उर्जण, स्थानान्तरण ।
इसलिए अब बस मैं
सहज हो प्रतीक्षा करूंगी
तुम्हारे पुनरागमन का ।