अंगूठी
तूने अंगूठी क्या पहनाई
है तेरे प्यार की,
उम्रकैद की सज़ा बिताई है
तेरे प्यार की।
चाहा जैसे तुमने वैसे ढलती
गयी हूँ मैं,
मैंने रब जैसी मूरत बनाई है
तेरे प्यार की।
कभी सोचा ही नहीं ख्वाहिशें
पूरी हो मेरी,
इक ख्वाहिश मन में दबाई है
तेरे प्यार की।
कितने अंजान रहे तुम इश्क़
के एहसासों से,
एक तरफा मोहब्बत निभाई
है तेरे प्यार की।
तोड़ना कहाँ आसान है इश्क़
की बेड़ियां,
सोचती हूँ हथकड़ी क्यों लगाई
है तेरे प्यार की।
सीमा शर्मा