अंगूठा ग़रीब का
अंगूठा ग़रीब का,
सबसे कीमती अंगूठा,
यह इंतख़ाबी अंगूठा,
यह चुनावी अंगूठा,
यह लोकतंत्री अंगूठा,
यह मतलबी अंगूठा,
बड़े काम का अंगूठा
अंगूठा ग़रीब का,
सबसे प्यारा अंगूठा।
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हर पाँचवें बरस
मचलता अँगूठा,
हुकूमतें गिराता,
हुकूमतें बनाता अंगूठा,
रातों-रात कुर्सी दिलाता,
हौले-हौले स्वाद बदलता,
कुर्सी से गिराता अंगूठा।
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अमीर कसर करता है,
अमीर दूर-दूर रहता है
बड़ी-बड़ी बातें करता है,
चुनावी लोकतंत्र पर;
मगर नहीं करता है,
इस्तेमाल-ए-अंगूठा,
दो कंबल के बदले,
एक रात की दारू के बदले,
अमीर को हर रात रंगीन चाहिए,
ग़रीब को पाँच साल में,
एक हसीन रात,
और लो सरकार तैयार,
कितना बेशकीमती है,
अंगूठा ग़रीब का अंगूठा।
-श्रीधर